उसके पास कोई जादुई चिराग न था। होगा, तब भी यह बात कन्फर्म है कि उसने उसे जमीन पर रगड़ा नहीं। बस ट्वीट भर किया- मेरी आंटी अस्पताल में हैं। देखते ही देखते शासकीय अनुकंपा उन तक जा पहुंची। आंटी जी की जान बच गई। ट्विटर जी का नाम न तो अलादीन था, न उसके पास कोई आज्ञाकारी जिन्न था, फिर भी। उनके पास सिर्फ सोशल मीडिया पर भारी संख्या में ‘पिछलग्गुओं’ की जमात थी। फिलवक्त ऐसे ही लोगों की करुण पुकार तत्काल सुनी जाती है। वरना इस कोविड वक्त में बड़े-बड़े तीसमार खां अपनी मार्मिक व्यथा-कथा लिखते-लिखवाते-छपवाते गुजर लिए। वैसे भी ट्विटर के आगे फेसबुकिया वर्नाकुलर कलरव का कौन संज्ञान लेता है?
रोजाना खबर आ रही है कि दुनिया भर के मुल्क हमें जमकर इमदाद भेज रहे हैं। हमारे जैसे गरीब मुल्क को मुसीबत से उबारने के लिए जिस तीव्रता से हाथ आगे बढ़े हैं, लगा कि सेंटा क्लॉज कुछ जल्दी ही एक्टिव मोड में आ गए हैं। इस मुनाफावादी समय में चंद मिथकीय दिव्यात्माओं के सिवा कौन है भला, जो बेलौस वक्त-जरूरत किसी के काम आता है! अन्यथा हर सहायता के पीछे कोई न कोई गोपन एजेंडा होता ही है। मसलन, 100 ग्राम वाली टूथपेस्ट का वजन 12 प्रतिशत घटाकर मूल्य में आठ प्रतिशत की भारी छूट दे देना। वह भी जनता की भारी मांग पर। विदेशी मदद को लेकर तरह-तरह की बातें सुनने में आ रही हैं। कोई कहता मिला कि वाह जी वाह, यह क्या बात हुई? जिसने दुनिया भर की हवा से विशुद्ध ऑक्सीजन निचोड़ी, वही डिब्बाबंद हवा औरों को गिफ्ट में दे रहा। कुछेक यह कहते पाए गए कि आपदा में मदद के नाम पर दवा नहीं, विधर्मी दुआओं से भरी हुई पेनड्राइव आई होंगी। एक चटोरे ने बताया कि घोड़ा छाप रम से बनी डार्क चॉकलेट जीवन रक्षक ड्रग बनकर आई है। इसका जो एक बार सेवन करेगा, बार-बार इसे पाने के लिए बीमार पड़ेगा। कारोबारी जानते हैं कि दवा वही, जिसका कसैला किंतु मदभरा स्वाद जिह्वा पर छा जाए।
रोजाना खबर आ रही है कि दुनिया भर के मुल्क हमें जमकर इमदाद भेज रहे हैं। हमारे जैसे गरीब मुल्क को मुसीबत से उबारने के लिए जिस तीव्रता से हाथ आगे बढ़े हैं, लगा कि सेंटा क्लॉज कुछ जल्दी ही एक्टिव मोड में आ गए हैं। इस मुनाफावादी समय में चंद मिथकीय दिव्यात्माओं के सिवा कौन है भला, जो बेलौस वक्त-जरूरत किसी के काम आता है! अन्यथा हर सहायता के पीछे कोई न कोई गोपन एजेंडा होता ही है। मसलन, 100 ग्राम वाली टूथपेस्ट का वजन 12 प्रतिशत घटाकर मूल्य में आठ प्रतिशत की भारी छूट दे देना। वह भी जनता की भारी मांग पर। विदेशी मदद को लेकर तरह-तरह की बातें सुनने में आ रही हैं। कोई कहता मिला कि वाह जी वाह, यह क्या बात हुई? जिसने दुनिया भर की हवा से विशुद्ध ऑक्सीजन निचोड़ी, वही डिब्बाबंद हवा औरों को गिफ्ट में दे रहा। कुछेक यह कहते पाए गए कि आपदा में मदद के नाम पर दवा नहीं, विधर्मी दुआओं से भरी हुई पेनड्राइव आई होंगी। एक चटोरे ने बताया कि घोड़ा छाप रम से बनी डार्क चॉकलेट जीवन रक्षक ड्रग बनकर आई है। इसका जो एक बार सेवन करेगा, बार-बार इसे पाने के लिए बीमार पड़ेगा। कारोबारी जानते हैं कि दवा वही, जिसका कसैला किंतु मदभरा स्वाद जिह्वा पर छा जाए।
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